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ग़ज़ल हर दिल में भरो चाहत, बस प्यार मुहब्बत हो, गन्द

ग़ज़ल
हर दिल में भरो चाहत, बस प्यार मुहब्बत हो,
गन्दी न जुबाँ करना, नज़रों में न नफऱत हो।

मत भेद कभी करना, भाषा की न बोली की,
हिंदी सी जुबाँ मीठी, ऊर्दू की नज़ाकत हो।

आवाज़ सुनो दिल की, तुम काम करो मन की,
हर काम करो दिल से, हर काम की इज्ज़त हो।

दुनियां में सभी आये,  कुछ नाम कमाने को,
कुछ काम करो ऐसा, तेरे नाम की कीमत हो।

सुन आज प्रियम कहता, कुछ साथ नहीं जाता,
अल्फ़ाज़ बनो ऐसा, हर लफ़्ज़ अमानत हो।
©पंकज प्रियम अमानत
ग़ज़ल
हर दिल में भरो चाहत, बस प्यार मुहब्बत हो,
गन्दी न जुबाँ करना, नज़रों में न नफऱत हो।

मत भेद कभी करना, भाषा की न बोली की,
हिंदी सी जुबाँ मीठी, ऊर्दू की नज़ाकत हो।

आवाज़ सुनो दिल की, तुम काम करो मन की,
हर काम करो दिल से, हर काम की इज्ज़त हो।

दुनियां में सभी आये,  कुछ नाम कमाने को,
कुछ काम करो ऐसा, तेरे नाम की कीमत हो।

सुन आज प्रियम कहता, कुछ साथ नहीं जाता,
अल्फ़ाज़ बनो ऐसा, हर लफ़्ज़ अमानत हो।
©पंकज प्रियम अमानत