वो एक खूबसरत सा शक्स है अदाओं का भंडार है मुस्कान का शहंशाह नज़ाकत का दरबार है कुसुरवार है आंखे उसकी नींदों को मारने का उन पर जुनून सवार है नाज़ुक है कलाई उसकी हर हरकत उसका इकरार है हुई है आज हालात दिल की ऐसी धड़कने जैसे घोड़े पर सवार है मोहबत होती है यूं ही मुनासिफ कुछ तुम तो कुछ हम इस बर्बादी के जिम्मेदार है wo kaun thi