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नारी तुम ही हो सबके पालनहारे। जीवन को सुरभित कर तू

नारी तुम ही हो सबके पालनहारे।
जीवन को सुरभित कर तू सँवारे।
पर महिला दिवस के दिन ही क्यों,
लगते  हैं   महिला  हित  के  नारे।

माँ,बहन,पत्नी,बेटी सब तेरे रूप।
नारी तुम हो जग में सबसे अनूप।      08/03/2020
कोई  न खींचे  उत्थान का खाका,
कोरे ही साबित  होते हैं वादे सारे।            -विश्वासी

महिला से ही सृष्टि चक्र ये चलती।
जुल्मों सितम सब कुछ वो सहती।
काम उनसे जब निकल जो जाता,
कर  देते  हैं  सब  उनको  किनारे।

अपने भले ही रूखी-सूखी खाती।
लेकिन घर को स्वर्ग सा है बनाती।
फिर असमानता की बीच में उनके,
क्यों  खड़ी  करते  हैं लोग  दीवारें। #अंतरराष्ट्रीय_महिला_दिवस 
#विश्वासी
नारी तुम ही हो सबके पालनहारे।
जीवन को सुरभित कर तू सँवारे।
पर महिला दिवस के दिन ही क्यों,
लगते  हैं   महिला  हित  के  नारे।

माँ,बहन,पत्नी,बेटी सब तेरे रूप।
नारी तुम हो जग में सबसे अनूप।      08/03/2020
कोई  न खींचे  उत्थान का खाका,
कोरे ही साबित  होते हैं वादे सारे।            -विश्वासी

महिला से ही सृष्टि चक्र ये चलती।
जुल्मों सितम सब कुछ वो सहती।
काम उनसे जब निकल जो जाता,
कर  देते  हैं  सब  उनको  किनारे।

अपने भले ही रूखी-सूखी खाती।
लेकिन घर को स्वर्ग सा है बनाती।
फिर असमानता की बीच में उनके,
क्यों  खड़ी  करते  हैं लोग  दीवारें। #अंतरराष्ट्रीय_महिला_दिवस 
#विश्वासी