जब सपनो में आते है वो .... मचल कर सांस मेरी धड़कनो तक आती है ,,सर्म की ओढ़ चादर नब्ज़ में बस जाती है ।। रक्त कोशिका पल भर को स्थिर सी लगती है और आंखे पलको का दीदार करती है।। शब्द कण्ठों में बंध से जाते है ,,दो पल के लिए हम लाश हो जाते है,,, फिर वो कहते है -तुम ठीक हो ना ,,,असर रोम रोम में इस बात का होता है ,हाल -ए-दिल कहने को हृदय बेकरार हो जाता है।। .....रोश......#yashi #rosh