जैसे किसान वर्ग गेहूँ, धान आदि की खेती करता है, वैसे शोषक वर्ग झूठ, धूर्तता आदि की खेती करता है और वह उन्हें ही रोपते, खाद - पानी देते बड़ा करता है। इसी धंधे में वह जीता है, साँस लेता है और फिर मरता है। dr. rajender parsad Singh ©Vijay Vidrohi #शोषक