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आलम कुछ रहता है एसा बरकरार, करार और कशमकश के तीर

आलम कुछ रहता है एसा बरकरार, 
करार और कशमकश के तीर होते हैं आर-पार, 
कभी घायल कभी बेइंतहा निसार,
इस सफर को कर दिया तुमने रसीला बेशुमार । ।— % & // तन्हा रातें //

हर लम्हा, हर घड़ी, होती रही बस आँखों से बरसातें 
ऐ मेरे सनम ये कैसी दे दी तूने मुझे हिज़्र की सौग़ातें 
बेचैन रहती है ये धडकनें जब तक ना हो तुमसे बातें 
मत पूछो कि किस तरह गुज़री है  तन्हा चाँदनी-रातें 

© Pradeep Agarwal (अंजान)
आलम कुछ रहता है एसा बरकरार, 
करार और कशमकश के तीर होते हैं आर-पार, 
कभी घायल कभी बेइंतहा निसार,
इस सफर को कर दिया तुमने रसीला बेशुमार । ।— % & // तन्हा रातें //

हर लम्हा, हर घड़ी, होती रही बस आँखों से बरसातें 
ऐ मेरे सनम ये कैसी दे दी तूने मुझे हिज़्र की सौग़ातें 
बेचैन रहती है ये धडकनें जब तक ना हो तुमसे बातें 
मत पूछो कि किस तरह गुज़री है  तन्हा चाँदनी-रातें 

© Pradeep Agarwal (अंजान)
sitalakshmi6065

Sita Prasad

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