शीर्षक-द्रोपदी द्रोपदी शब्द- शब्द निः शब्द हुए जब चीरहरण के शब्द हुए शर्म- शर्म से शर्मशार हुईं जब सब अपने क्षुब्द हुए आंख पे पट्टी, मुंह पे पट्टी हृदय तल भी जल गया उस नारी का,उन वीरों का