अगर चाहते हो, दिल और दिमाग के रिश्तों में, कोई सुलह नहीं हो.............., तो तुम कोई और तन देख लो। अगर चाहते हो, आंख और कान के रिश्तों में, कोई सुलह नहीं हो..............., तो तुम कोई और मन देख लो। अगर चाहते हो, सांस और प्राण के रिश्तों में, कोई सुलह नहीं हो................, तो तुम कोई और गगन देख लो। मैं तो एक आत्मा हूं, मैं तुम्हें छोड़कर चला, तुम कोई और प्राण देख लो। मैं तो लड़ने से रहा, तू कोई और मैदाने रण देख लो। अगर चाहते हो, दिल और दिमाग के रिश्तों में, कोई सुलह नहीं हो................, तो तुम कोई और तन देख लो।। 88888888888888888888 प्रमोद मालाकार कि पेशकश 14.01.2024अ ©pramod malakar #अगर चाहते हो......