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क्या लिखूँगा क्या नही लिखूँगा ग़ज़लों में मैं उसको

क्या लिखूँगा क्या नही लिखूँगा
ग़ज़लों में मैं उसको नही लिखूँगा

अधूरी है तो अधूरी ही सही
इश्क़ अब मैं पूरी नही लिखूँगा

जिस तरह वह मेरी नही, 
उसी तरह तुम्हारी भी नही लिखूँगा

इक गुमशुदगी है नसीब में मेरे
मैं मौजूदगी तुम्हारी भी नही लिखूँगा

अगर मेरा फसाना नही जहां में
मैं दास्ताँ तुम्हारी भी नही लिखूँगा

मामला किसी का भी हो ‘सुब्रत'
ऐ-दिल मैं तुम्हारी भी नही लिखूँगा....

~©अनुज सुब्रत इश्क़ अब मैं पूरी नही लिखूँगा......Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" )

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क्या लिखूँगा क्या नही लिखूँगा
ग़ज़लों में मैं उसको नही लिखूँगा

अधूरी है तो अधूरी ही सही
इश्क़ अब मैं पूरी नही लिखूँगा

जिस तरह वह मेरी नही, 
उसी तरह तुम्हारी भी नही लिखूँगा

इक गुमशुदगी है नसीब में मेरे
मैं मौजूदगी तुम्हारी भी नही लिखूँगा

अगर मेरा फसाना नही जहां में
मैं दास्ताँ तुम्हारी भी नही लिखूँगा

मामला किसी का भी हो ‘सुब्रत'
ऐ-दिल मैं तुम्हारी भी नही लिखूँगा....

~©अनुज सुब्रत इश्क़ अब मैं पूरी नही लिखूँगा......Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" )

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