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जररूरी नही की तू हर किसी को सुधार , कभी-कभी अपनी

जररूरी नही की तू हर किसी को सुधार ,
कभी-कभी 
अपनी खुशी के खातिर गलतियो को  भी नज़रंदाज़  करना पड़ता हैं,
कितनी दफा बदलोगे तुम उनका नज़रिया ,
कुछ दफा तो अपने आँखो का भी चश्मा  उतरना पड़ता हैं। #eyes#glasses
जररूरी नही की तू हर किसी को सुधार ,
कभी-कभी 
अपनी खुशी के खातिर गलतियो को  भी नज़रंदाज़  करना पड़ता हैं,
कितनी दफा बदलोगे तुम उनका नज़रिया ,
कुछ दफा तो अपने आँखो का भी चश्मा  उतरना पड़ता हैं। #eyes#glasses