अतिथि शिक्षकों की लाचारी,कुइ नैं समझ रऔ जिन पै टिकीं शाला सरकारी,कुइ नैं समझ रऔ। नये पंजीयन करवा लय जो बइ के मारै, मची हुई है मारामारी,कुइ नैं समझ रऔ। पोर्टल तौ पद रिक्त बता रऔ,किन्तु प्रिंसिपल- सुनैं नैं भैया एक हमारी,कुइ नैं समझ रऔ। लिखें हींग कौ हग जो भैया बने वो नियमित, पढ़े-लिखे खौं है बेकारी,कुइ नैं समझ रऔ। 'सरस' दिखें यूँ तो ख़ुश लेकिन हमहिं समझ रय, सीने में छिद रइ है कटारी,कुइ नैं समझ रऔ ©सतीश तिवारी 'सरस' #लाचारी