गए दिनों का सुराग़ ले कर_ किधर से आया किधर गया वो अजीब मानूस अजनबी था___ मुझे तो हैरान कर गया वो न अब वो यादों का चढ़ता दरिया_ न फ़ुरसतों की उदास बरखा यूँ ही ज़रा सी कसक है दिल में _जो ज़ख़्म गहरा था भर गया वो वो रात के बे-नवा मुसाफ़िर _वो तेरा शायर वो तेरा नासिर तेरी गली तक तो हमने देखा था_ फिर न जाने किधर गया वो ##नासिरकाज़मी #EveningBlush