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गए दिनों का सुराग़ ले कर_ किधर से आया किधर गया वो अ

गए दिनों का सुराग़ ले कर_ किधर से आया किधर गया वो
अजीब मानूस अजनबी था___ मुझे तो हैरान कर गया वो

 
न अब वो यादों का चढ़ता दरिया_ न फ़ुरसतों की उदास बरखा
यूँ ही ज़रा सी कसक है दिल में _जो ज़ख़्म गहरा था भर गया वो

वो रात के बे-नवा मुसाफ़िर _वो तेरा शायर वो तेरा नासिर
तेरी गली तक तो हमने देखा था_ फिर न जाने किधर गया वो ##नासिरकाज़मी 
#EveningBlush
गए दिनों का सुराग़ ले कर_ किधर से आया किधर गया वो
अजीब मानूस अजनबी था___ मुझे तो हैरान कर गया वो

 
न अब वो यादों का चढ़ता दरिया_ न फ़ुरसतों की उदास बरखा
यूँ ही ज़रा सी कसक है दिल में _जो ज़ख़्म गहरा था भर गया वो

वो रात के बे-नवा मुसाफ़िर _वो तेरा शायर वो तेरा नासिर
तेरी गली तक तो हमने देखा था_ फिर न जाने किधर गया वो ##नासिरकाज़मी 
#EveningBlush
dkbhati8216

Dk bhati

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