शीर्षक- आया नहीं काम कोई मेरे ----------------------------------------------------- आया नहीं काम कोई मेरे, नहीं पूछे किसी ने हाल मेरे। बताते हैं सब कमी मुझमें ही, सुनते नहीं है कारण मेरे।। आया नहीं काम कोई मेरे----------------।। कैसा है शक उनको मुझ पर, विश्वास नहीं है मुझ पर। करते हैं मेरे लिए गुफ्तगू क्या, समझते नहीं है शब्द मेरे।। आया नहीं काम कोई मेरे------------------।। मिलाते हैं हाथ वो मतलब पर, रहते हैं साथ वो मतलब में। मिलते नहीं फिर भी वो दिल से, पसंद नहीं है शौक मेरे।। आया नहीं काम कोई मेरे---------------।। मैंने तो उनको अपना समझकर, दिया था आदर दिल से। फिर भी मुझे अपना माना नहीं, आते नहीं है ख्वाब मेरे।। आया नहीं काम कोई मेरे----------------।। उनके चमन को मेरे लहू सींचा, चिराग उनके मैंने जलाये। चाहते हैं वो खून करना मेरा, रहे नहीं कभी वो साथ मेरे।। आया नहीं काम कोई मेरे-------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #स्वार्थी लोग