उसके दर पर भी चला जाता है वो थका हारा घर को लौट आता है वो फरेबी हंसी हंसना भी आसान नहीं बहुत ज़ुल्म खुद पे फिर ढाता है वो प्यार से तोड़ें तो टूट भी जाए शायद बर्बादियों से जुड़ा ऐसा नाता है वो कमरे में उस के थोड़ी रोशनी तो हो इसी आस में खुद को जलाता है वो पन्ने पे अपना नाम लिख जला देता है खुद का अक्स ऐसे भी मिटाता है वो कोई मज़ाक ना उड़ा दे जज्बातों का आंसू अपने दामन में छलकाता है वो कभी तो लौट आएगी वो पास मेरे भी इसी बात से तो खुद को बेहलता है वो @अभिनव #gazal #barbaad #barbad_shayar #jazbaat_ae_dil #Pain #Kuch_galtiyan