हां , मेरा प्यार एक तरफा है .. पर तुम्हारे महबूब की ,कि गई वचनों से सच्चा है.... हां मेरा प्यार एक तरफा है , पर सागर की गहराइयों से गहरा है, ...हां मेरा प्यार एक तरफा है , पर पर्वतों की बुलंदियों से पक्का है ... हां माना मेरा प्यार एक तरफा है , पूरा नहीं तुम नहीं हो मेरे साथ फिर भी ये अधूरा नहीं ... तुम्हारे प्यार में ज़िन्दगी धुआं कर ली है , खुद को बेच ज़िन्दगी जुआ कर ली है .... ज्ञान बहुत सुना है , प्यार की लफ्ज़ ही अधूरी है, कहनियां भी बहुत पढ़ी है, रोमियो - जूलियट , हीर - रांझा , राम - लीला इनकी मोहब्बत भी सुनी है ... तो क्या मोहब्बत करना छोड़ दे ,?? उनकी आंखों की गहराइयों में यूं भीगना कैसे छोड़ दे , कैसे भुलाऊ उन्हें जिनकी सदाएं खुदा से ज्यादा की , कैसे भूलूं उन्हें , जिनसे मोहब्ब्त मां से भी ज्यादा की !! ऐ मेरी हंसी , ऐ मेरी खुशी मेरी नसो में भी तेरा इश्क़ बहे , नमुकम्म्मल पड़े कभी इश्क़ मेरा खुद से ही ये उद्विग्न कहे .... तेरा चेहरा है या आइना , जिसे मैं देख संवर जाऊ , तू ही बता जाना , तेरे बिना मैं किधर जाऊं .... अभी कल ही तो मिली थी तुम ख्वाबों के मोड़ पर भटक- भटक के आया था , मैं अनगिनत रास्तों को जोड़ कर ..... जादू तुम्हारा ऐसा है , जो मैं जानता हूं , तुम्हारे हुए बिना ही मै तुमसे रोज़ रात गले मिलता हूं, .... दीवानगी का आसार एकतरफा है , हां मेरा प्यार एक तरफा है... कोई मेरे प्यार की अलमस्तगी(पागलपन) तो देखे , आज भी रखता हूं उसकी फ़ोटो जेब में लेके ... फोन की गैलरी उसी की फोटो से भरी है , क्या बताऊं , उसकी यादें मेरी आंखों में नश्तर (कील, नुकीला चाकू) जैसे गड़ी है .... मेरे सिरहाने वाला तकिया उसकी यादों की गवाह है , बात करते करते उसी पे तो निकलता मेरी आंखों की दरिया का प्रवाह है ...... कभी दिन फिके कभी रात है धुंधली , कोई सरफिरा समझे तो समझे हां मै हूं उसके प्यार में जंगली ......कई तोहफे कई दुआएं तो फिजूल भेजता हूं , उसकी तरफ से मैं खुद को फूल भेजता हूं ..... हर रोज़ कर रहा हूं इंतज़ार एकतरफा , हां मेरा प्यार एकतरफा , मेरा प्यार एकतरफा!!........ #गौरव उद्विग्न #एकतरफा प्यार