खाकी धन नही खाकी साधन है, खाकी मान है अभिमान है कर्तव्यो पे डटे रहने का स्वाभिमान है।। खाकी, मिट्टी में रह कर जीने का सम्मान है, समाज में रह कर समाज सुधारना इसका काम है।। धूप में छाव में सर्द में बरसात में डटे रहने का नाम है सच्चाई पे अड़े रहना इसका काम है।। खाकी पहचान है सत्य का निसान है निस्वार्थ सेवा का भाव है कानून का मान है अभिमान है कर्तव्यो पे डटे रहने का स्वाभिमान है।। ©Akash Maurya #Police #Hindi #poem #kavita #India #Moon