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ऐसा लग रहा मानों बिजली का बल्ब हो , दरअसल, यह बन्द

ऐसा लग रहा मानों बिजली का बल्ब हो ,
दरअसल,
यह बन्द अंधेरी कमरे का घने खपडों और 
मोटे - मोटे काठों के बीच से छन कर 
आ रही उम्मीदों का ज्योतिपुंज है।
या कहें तो अपने हिस्से का सूरज ।
जो अंधेरे और उजाले की सांद्रता। 
नियमित रात- दिन का रहस्य, तथा 
'पत्थर पर दूब' उगने का उम्मीद देता है। 
बन्द अंधेरी कमरों में,
जहां नैराश्य रात से ज्यादा गाढ़ी है।

#कलम_से✍️
दीपेश_कुमार
#तस्वीर- घर का एक कोना

©Deepesh Kumar
ऐसा लग रहा मानों बिजली का बल्ब हो ,
दरअसल,
यह बन्द अंधेरी कमरे का घने खपडों और 
मोटे - मोटे काठों के बीच से छन कर 
आ रही उम्मीदों का ज्योतिपुंज है।
या कहें तो अपने हिस्से का सूरज ।
जो अंधेरे और उजाले की सांद्रता। 
नियमित रात- दिन का रहस्य, तथा 
'पत्थर पर दूब' उगने का उम्मीद देता है। 
बन्द अंधेरी कमरों में,
जहां नैराश्य रात से ज्यादा गाढ़ी है।

#कलम_से✍️
दीपेश_कुमार
#तस्वीर- घर का एक कोना

©Deepesh Kumar