सूरज को ऊष्मा, चाँद को चाँदनी की रात को दिन, ख़्वाब को निंदिया की क्षुधा से पीड़ित को रोटी की प्यास से आकुल को सलिल की राग को रागिनी सुर को ताल की व्यथित मन को शांति की जैसे ज़िन्दगी अधूरी सांसों बिन वैसे मैं अधूरा तुम बिन प्रियतम मेरे, मुझे तेरी ज़रूरत है 🎀 Challenge-194 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।