रचना:-04 विधा:-नज्म विषय:-मोहब्बत सच मायने में तो मोहब्बत खुदा का वो कोहिनूर है, जिसे मिल जाये उसकी किस्मत चमकती जरूर है, जो मेरे श्वासों के कण कण में समा गया वो रसनीर, वो पैग़ाम ए मोहब्बत की जरूर कोई हैं तस्वविर, जिससे निखर गया मन का एक एक कोना कोना, जी हुजूर वहीं तो है मोहब्बत एक स्वप्न सा सलोना, जो अब तक दूर है मोहब्बत से उन्हें भी बता देता हूँ, मैं शायर या ग़ालिब नही बस बातों को कह देता हूँ, सम्पूर्ण नज़्म अनुशीर्षक में पढ़े। रचना:-04 विधा:-नज्म विषय:-🌷मोहब्बत🌷 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 सच मायने में तो मोहब्बत खुदा का वो कोहिनूर है, जिसे मिल जाये उसकी किस्मत चमकती जरूर है, जो मेरे श्वासों के कण कण में समा गया वो रसनीर,