यूँ तो मेरे इंतिखाब के सिवा, कुछ भी तो मुश्क़िल नहीं था। उसके वक़्त-ए-दीदार 'अनाम' सारा ख़लक ही ख़ामोश था।— % & #shamaurtanhai #51/365 #365days365quotes #khalak #khamosh #deedar #waqt #mushkil