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ख़िताब जब हम मिले थे दावत-ए-बारिश में तब घनघोर अंध

ख़िताब
जब हम मिले थे दावत-ए-बारिश में 
तब घनघोर अंधेरा छाया था
 कुछ गलती तुमने की कुछ गलती हमने की
 तब आशिक का ख़िताब पाया था....
कुछ गिले ज़िन्दगी से इस कदर रहे
जो समय बिताया तेरे 
साथ हमेशा उसमे चूर रहे 
एतबार-ए-इश्क में बेबफाई की उम्मीद न थी  
 गुजर गई दावत-ए-बारिश की आँधिया 
और हमें चश्म-ओ-चिराग के रूखेपन की उम्मीद न थी 
कुछ हम चूर थे कुछ तुम चूर थे,
जो भी गिला था आत्मास्वभाव में मिला था
कुछ गलती तुमने की कुछ गलती हमने की...... #ख़िताब
#जुदा
#आत्मस्वभाव
#आशिक
#khnazim
ख़िताब
जब हम मिले थे दावत-ए-बारिश में 
तब घनघोर अंधेरा छाया था
 कुछ गलती तुमने की कुछ गलती हमने की
 तब आशिक का ख़िताब पाया था....
कुछ गिले ज़िन्दगी से इस कदर रहे
जो समय बिताया तेरे 
साथ हमेशा उसमे चूर रहे 
एतबार-ए-इश्क में बेबफाई की उम्मीद न थी  
 गुजर गई दावत-ए-बारिश की आँधिया 
और हमें चश्म-ओ-चिराग के रूखेपन की उम्मीद न थी 
कुछ हम चूर थे कुछ तुम चूर थे,
जो भी गिला था आत्मास्वभाव में मिला था
कुछ गलती तुमने की कुछ गलती हमने की...... #ख़िताब
#जुदा
#आत्मस्वभाव
#आशिक
#khnazim
khnazim8530

Kh_Nazim

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