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हे स्वामी! भाग्यशाली हूँ , जन्म दिन पर इतने मित्र,

हे स्वामी! भाग्यशाली हूँ , जन्म दिन पर इतने मित्र, इतना स्नेह , संभाल न पाऊंगा, विशेष कर आपका आभार कैसे करूँ!!!!!

हे नाथ !
सत्कर्म का प्रतिफल भी तू,
ज्ञान का उत्कर्ष भी तू,
स्नेह का लालित्य भी तू,
अनुराग जनित हर्ष भी तू,
हर्ष रचित अश्रु कण भी तू 
मेरा भाग्य भी तू
भाग्य से बने मित्र भी तू
आभारी हूँ 
मित्रों का 
स्नेह दिया
अपनत्व दिया
जीवन संबल दिया 
आभार|| आभार
हे स्वामी! भाग्यशाली हूँ , जन्म दिन पर इतने मित्र, इतना स्नेह , संभाल न पाऊंगा, विशेष कर आपका आभार कैसे करूँ!!!!!

हे नाथ !
सत्कर्म का प्रतिफल भी तू,
ज्ञान का उत्कर्ष भी तू,
स्नेह का लालित्य भी तू,
अनुराग जनित हर्ष भी तू,
हर्ष रचित अश्रु कण भी तू 
मेरा भाग्य भी तू
भाग्य से बने मित्र भी तू
आभारी हूँ 
मित्रों का 
स्नेह दिया
अपनत्व दिया
जीवन संबल दिया 
आभार|| आभार