मैं स्वतंत्र हूं । मैं स्वछंद हूं। मैं निरभिक, निश्छल हूं। मैं हर्ष लिखूं। मैं शोक लिखूं । मैं ख्वाब लिखूं, मैं बिरह - प्रेम लिखूं। मैं जो बंध दे वो छंद लिखूं। मैं रंग लिखूं ,बदरंग लिखूं। मैं स्याह- सफेद लिखूं। मैं अनुराग लिखूं मैं द्वेष लिखूं। मैं भाषा ,परिवेश लिखूं। मैं हर किसी का भेद लिखूं। मैं सियासी दांव पेंच लिखूं । मैं कलम हूं किसी में ना भेद करूं ।.... ©Milan Sinha #कलमकीताकत #कलमकापरिचय #power_of_words #powerofpen #Education #thoughtoftheday