पीयूष मिश्रा की कलम से प्रस्तुत है- उजला ही उजला शहर होगा जिसमें हम-तुम बनाएँगे घर दोनों रहेंगे कबूतर से जिसमें होगा ना बाज़ों का डर #KalamSe #PiyushMishra