कागज की कश्ती याद है एक बार डुबा के कितना रुलाया था तुमने रोया मै पागलो सा जोर लगा के उसी अबोध से पागलपन को महसूस करना है कोई भी हो कीमत फिर इक दफा बच्चा बनना है हम सफ़र पर निकले, काग़ज़ की कश्तियों में... #काग़ज़कीकश्ती #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi