ऐ चाँद नहीं लिखूँगा कुछ भी तुम पर जब दुष्वृत्तियों से मेरे देश की चाँदनी तड़प रही हर पल ऐ चाँद तू कैसे देख पाता है ऐसा शर्म जहाँ लज्जा के लिए तड़पती स्त्री हर क्षण । माना कि इन्सानियत नहीं मेरे देश के इन्सान में रगों में खून वही, फिर भी तड़पे इसी प्यास में कैसी है ये वासना जरा तू समझा दे न वरना तेरे पुर्णिमा छोड़ चला जाऊँगा अमावस्य में । दाग तुझ पर है तेरी चाँदनी पर नहीं फिर मेरे देश की लज्जा तड़पे क्यों कहीं तू तो इतराता है न अपने चाँदनी पर मैं कैसे इतराऊँ ऐ चाँद जब मेरे देश की रौनक खो गई हो कहीं । #chaand #nojoto #nojotohindi #kalakash #kavishala #women #rape #justiceforwomen