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आसमां बादलों की गिरफ्त में है हवाये भी कहाँ अपनी

आसमां बादलों की गिरफ्त में है 
हवाये भी कहाँ अपनी हद में है ।

नयी तदबीरो से जीना सीख लो
शहर अपना तूफां की जद में है ।

कयामत नयी ढूंढ कर ला रहा है 
यह नया साल बड़ी फुरसत में है ।

जिंदगी को मोहब्बत से ताबिश कर
    सुकूं क्या रोज तुझे इस नफरत में हैं।

ख्वाहिशें कितनी छोटी हो गई हैं 
अब जीना ही सबकी हसरत में है ।

कितने सबक याद रखेगा ये जहां
भूलना आदमी की फ़ितरत में है ।

(तदबीर-युक्ति,ताबिश-जगमग) 

लोकेंद्र की कलम से ✍🏻 #लोकेंद्र की कलम से
आसमां बादलों की गिरफ्त में है 
हवाये भी कहाँ अपनी हद में है ।

नयी तदबीरो से जीना सीख लो
शहर अपना तूफां की जद में है ।

कयामत नयी ढूंढ कर ला रहा है 
यह नया साल बड़ी फुरसत में है ।

जिंदगी को मोहब्बत से ताबिश कर
    सुकूं क्या रोज तुझे इस नफरत में हैं।

ख्वाहिशें कितनी छोटी हो गई हैं 
अब जीना ही सबकी हसरत में है ।

कितने सबक याद रखेगा ये जहां
भूलना आदमी की फ़ितरत में है ।

(तदबीर-युक्ति,ताबिश-जगमग) 

लोकेंद्र की कलम से ✍🏻 #लोकेंद्र की कलम से