Nojoto: Largest Storytelling Platform

यादों के ढ़ेर पर कोयले से सुलग रहे हैं, कुछ ख्व

 यादों के ढ़ेर पर
 कोयले से सुलग रहे हैं,
 कुछ ख्वाब, कुछ ख्याल
, कुछ बातें  कुछ जज़्बात 
जो कभी दहक रहे थे, 
आज राख बनने को तैयार हैं 

और लोग  कहते है ,कि क्या हुआ 
जिंदगी ही तो है,गुजर ही जाएगी 

बदलाव की उम्मीद पर
 न जाने कितनी ख्वाहिशें
  इतिहास बन गई,
जिनमें हिम्मत थी वो 
आम से खास बन गई

कुछ सवाल रह गई 
कुछ जवाब बन गई 
और जिन्हें पढ़ा ही नहीं गया
 कुछ स्त्रियां ऐसी किताब बन गई

©अपर्णा विजय
  #स्त्रियां