तुमसे बिछड़कर जाना के ग़म क्या है, अकेला होने के बाद जाना मेंने के तन्हाई क्या है। लगता था पहेले के अकेला ही काट लूँगा ज़िंदगी, पर अब एक एक पल लगे मुझे भारी। तुझे याद करता हूंँ तो अश्क बह जाते है आँखों से, लेकिन इन अश्कों के सिवा अब मेरी जिंदगी मे बचा ही क्या है। -Nitesh Prajapati P.P.018 #PP_शब्दरेखा_तुमसेबिछड़कर ➡️समय सीमा 24 घंटे या निर्दिष्ट के अनुसार। ➡️विषय पर अपने स्वयं के भाव-व्यक्त कीजिये। स्वरचित रचना ही मान्य है।