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#श्रद्धांजलि!! ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

#श्रद्धांजलि!!
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सूरज है बुझा-बुझा सा,आकाश झुक गया सारा, 
डूबा है चाँद तिमिर में, निस्तेज हुआ ध्रुव तारा !!
भींगी पलकें ले अपनी, चाँदनी उदास खडी़ है, 
बरसा है तुहिन धरा पर,आँसू की  लगी लड़ी  है !!
थम गया समीर अचानक, क्या मौसम रूठ गया है, 
बेमौसम  बरसे बादल, नीरद-घट फूट गया है !!
कुछ स्मरण आगया सबको, विचलित सारे के सारे, 
अनचाहा घटित  हुआ कुछ, फीके रंगीन नजारे !! 
आघात याद है अब भी, जो मुझको तोड़ गया था, 
असहाय, अकेला करके, हमराही छोड़ गया  था !! 
हे देवि ! तुझे श्रद्धांजलि ,कुछ पुष्प यहाँ अर्पित हैं,
स्वीकार इन्हें कर लेना, हृदयोद्गार अर्पित हैं !! 
कितना सुखमय जीवन था कितना मधुमय सँग तेरा,
पर "क्रूर काल" ने जाने , क्यों छीन लिया सुख मेरा !! 
युग बीत गया, इस दिन ही, छूटा था साथ हमारा, 
सब याद तुझे करते हैं, रहता उदास घर सारा !!
आँगन सूना - सूना सा , सूना अंतर्मन  मेरा,
वह कमरा  विलख रहा  है, जिसमें निवास था तेरा !!
बन गया भार यह जीवन, बिन तेरे जिया न जाता, 
वह क्रूर काल वापस फिर, क्यों मेरे पास न आता ?
जीने  की अभिलाषा भी, है बची कहाँ अब मन में,
बिखरे हैं  स्वप्न सुनहरे, जो बुने कभी जीवन में !!
उस "क्रूर काल" से कह दे, तुझसे अब मुझे मिला दे।
या तुझको वापस कर दे, या मुझको पास बुला दे !! 
लो अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि, मेरे साथी जीवन - धन,  
लेखनी  बहाती  आँसू , क्रंदन  करता  अंतर्मन !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ #NojotoQuote
#श्रद्धांजलि!!
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सूरज है बुझा-बुझा सा,आकाश झुक गया सारा, 
डूबा है चाँद तिमिर में, निस्तेज हुआ ध्रुव तारा !!
भींगी पलकें ले अपनी, चाँदनी उदास खडी़ है, 
बरसा है तुहिन धरा पर,आँसू की  लगी लड़ी  है !!
थम गया समीर अचानक, क्या मौसम रूठ गया है, 
बेमौसम  बरसे बादल, नीरद-घट फूट गया है !!
कुछ स्मरण आगया सबको, विचलित सारे के सारे, 
अनचाहा घटित  हुआ कुछ, फीके रंगीन नजारे !! 
आघात याद है अब भी, जो मुझको तोड़ गया था, 
असहाय, अकेला करके, हमराही छोड़ गया  था !! 
हे देवि ! तुझे श्रद्धांजलि ,कुछ पुष्प यहाँ अर्पित हैं,
स्वीकार इन्हें कर लेना, हृदयोद्गार अर्पित हैं !! 
कितना सुखमय जीवन था कितना मधुमय सँग तेरा,
पर "क्रूर काल" ने जाने , क्यों छीन लिया सुख मेरा !! 
युग बीत गया, इस दिन ही, छूटा था साथ हमारा, 
सब याद तुझे करते हैं, रहता उदास घर सारा !!
आँगन सूना - सूना सा , सूना अंतर्मन  मेरा,
वह कमरा  विलख रहा  है, जिसमें निवास था तेरा !!
बन गया भार यह जीवन, बिन तेरे जिया न जाता, 
वह क्रूर काल वापस फिर, क्यों मेरे पास न आता ?
जीने  की अभिलाषा भी, है बची कहाँ अब मन में,
बिखरे हैं  स्वप्न सुनहरे, जो बुने कभी जीवन में !!
उस "क्रूर काल" से कह दे, तुझसे अब मुझे मिला दे।
या तुझको वापस कर दे, या मुझको पास बुला दे !! 
लो अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि, मेरे साथी जीवन - धन,  
लेखनी  बहाती  आँसू , क्रंदन  करता  अंतर्मन !!
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