आभा वही सूरज की अल्ट्रासोनिक वाइब्रेशन में होकर तब्दील गहरे गंदला पानी में, आवाजों, सदाओं का अपना ही भरता, सरसराता जंगल! कि बज उठे कान बज़र से सुन्न शिथिल मनोमस्तिष्क मेरा टटोल ठहराव इस तलहटी में खुद अपने ही वजूद का सरकता ज्यों ऊपर ऊपर जम सा गया हिमखण्ड! रूपांतरण... मेरा, पत्थर पाषाण ! tum_aayee_ho @manas_pratyay #tum_aayee_ho © Ratan Kumar #Forest