Nojoto: Largest Storytelling Platform

दिल की परिधि से प्रेम नदारद, अपनापन मुरझाया है।



दिल की परिधि से प्रेम नदारद,
अपनापन मुरझाया है।
पुरवाई के झोंकों में,
ईर्ष्या की मिलती छाया है।।
जग का है अस्तित्व 'सनम',
खतरे में देखो आज हुआ।
सभ्य मनुज के गलियारों में,
दुष्टों का अब राज हुआ।।
सत्य के नभ में आज झूठ का,
मेघ मुदित, हर्षाया है।
 मानव-मानव शत्रु बने,
मानवता-तरु कुम्हलाया है।।

@poetryofsoul

©Shashank मणि Yadava "सनम"
  #human #humanity #HumanityFirst #HumAndNature