यादों के साए में जाएगी रात जाते-जाते, हुई देर, अब लम्बा वक्त हुआ उन्हें आते-आते । नींदें ढूंढती हैं उनके बाज़ुओं का तकिया, देर से ही सही, आ ही जाएगी नींद आते-आते । रुठकर मुझसे सताता है मुझे अक्सर, थक जाता है मुझको जब वो मनाते-मनाते । सो जा ऐ चाँद कि सुभा होने को आई, छंट गया अंधेरा चिराग बुझाते-बुझाते ।। 🖋️ वंकिम #hindipoetry