जिसने भी मोहब्बत का गीत गाया है,जिंदगी का उसने ही लुत्फ़ उठाया है गर्मी हो चाहे हो सर्दी का मौसम अजी,प्रेमियों ने सदा ही जश्न मनाया है हर खेल में वो ही तो अब्बल आया है,जिस किसी ने भी दमख़म दिखाया है वो माने चाहे न माने है उसकी मर्जी,हमने तो सब कुछ ही उसपे लुटाया है कौन समझ पाया है इस दुनिया को,प्रेमियों पे सदा ही इसने जुल्म ढाया है … आदमी सीख न पाया मिल के रहना,चाहे हर पीर पैगम्बर ने समझाया है सच्चों को पहले तो सूली पे चढाया है,बाद में चाहे ये समाज पछताया है मंजिल पे देर सवेर पहुंच ही जायेगा,जिस किसी ने पहला कदम उठाया है इश्क में यहां हर किसी ने ही प्यारे, कुछ गंवाया है तो काफी कुछ पाया है