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रात के उजालो मे चाँद जो चमक रहा है, नित्य नए रूप म

रात के उजालो मे
चाँद जो चमक रहा है,
नित्य नए रूप मे
मुझे वो दिख रहा है,
                       कभी सोचता लम्हे सा
                       कभी बोलता खुशबू सा,
कभी बेरंग जल सा
कभी उठती हुई तरंग सा,
                         कभी ख्वाब सच्चा सा
                         कभी बात अच्छा सा,
कभी उम्मीदों की डोर सा
कभी चन्दा चकोर सा,
                          कभी ठंडी छांव सा
                          कभी कड़वी धूप सा,
कभी नदियों का शोर सा
कभी मूकदर्शक सा,
                           कभी थका-थका सा
                           कभी बड़ा अजीब सा
                           चाँद जो चमक रहा है,
यह जवाब है
जीवन के सवालों का
जो मुझे उसमें दिख रहा है,
यह चाँद जो चमक रहा है।
              
              -- अभिषेक द्विवेदी "नीरज"--- जीवन के सवाल जवाब
रात के उजालो मे
चाँद जो चमक रहा है,
नित्य नए रूप मे
मुझे वो दिख रहा है,
                       कभी सोचता लम्हे सा
                       कभी बोलता खुशबू सा,
कभी बेरंग जल सा
कभी उठती हुई तरंग सा,
                         कभी ख्वाब सच्चा सा
                         कभी बात अच्छा सा,
कभी उम्मीदों की डोर सा
कभी चन्दा चकोर सा,
                          कभी ठंडी छांव सा
                          कभी कड़वी धूप सा,
कभी नदियों का शोर सा
कभी मूकदर्शक सा,
                           कभी थका-थका सा
                           कभी बड़ा अजीब सा
                           चाँद जो चमक रहा है,
यह जवाब है
जीवन के सवालों का
जो मुझे उसमें दिख रहा है,
यह चाँद जो चमक रहा है।
              
              -- अभिषेक द्विवेदी "नीरज"--- जीवन के सवाल जवाब