उनकी याद में हम इस कदर बर्बाद हुए। । दिया तो सब कुछ,पर इज़्ज़त पाने को मोहताज़ हुए। । वो कहते थे हम चांद हैं, गुलज़ार है,जान ऐ आफताब हैं। । जब पता चला कि वो बेवफा है, तो हम सुनसान गली के, जैसा वीरान हुए। । ठोकर खाये,गिर के सम्भले और हैरान परेसान हुए। । वो ना समझे ,लाख समझाए,फिर भी हब बदनाम हुए। । ऐ खुदा अब कहदो उनसे ,की जी लेंगें हम उनके बगैर , जिसके लिए हम,परेसान और बदनाम हुए। ©Ritesh Srivastava hamari adhuri kahani