खुली किताब हैं हम *************** खुली किताब हैं हम पढ़ ना,सका कोई......2 यूँ ही, बेहिसाब हैं हम ना मिला, हिसाब कोई यू ही तरसे हमशकल को हम मिला ना हमको कभी,मेरा महताब कोई खुली किताब है हम पढ़ ना सका कोई.......2 हम चले थे जहां सुकूँ लेके दर्द है वो, बेमिशाल कह दे....2 आईना बन के मेरा,दिल ने, किया सजदा आज बिखरे तो चेहरे,कई हजार मिले गमजदा होके, हम तो बस, एक सवार निकले ढूंढने अपने नसीबा को,ये बहार निकले खुली किताब है हम पढ़ ना सका कोई.....3 वो जो रखा था एक, गुलाब मैंने....2 पूछा हम से,कई सवाल निकले....2 वो अदद सी ही थी,चाहत मेरी मेरी आशिक़ी ही अब, बबाल निकले चल दिये तो क्या हो, गए काफिर मेरा हमदम ही हमेशा,सबसे कमाल निकले खुली किताब है हम पढ़ ना सका कोई.....3 दिलीप कुमार खाँ"अनपढ़" #गजल #अनपढ़ #मेरे_अल्फाज #बोल #happybirthdaygulzar