( जीवन संगिनी ) मैं हमेशा ही खुद को मुकम्मल समझता रहा , जो बनाया था एक मकान उसको ही घर समझता रहा ! 👇👇👇 READ IN CAPTION #NojotoQuote जीवन संगिनी मैं हमेशा ही खुद को मुकम्मल समझता रहा , जो बनाया था एक मकान उसको ही घर समझता रहा ! जी रहा था मैं अब तक अपनी ही मस्ती में , अन्धेरों में भ्रम था की हूँ मैं रोशनी की