चार क़दम तुम चलो,चार क़दम हम चलें हो जायें साथ फिर,हाथों में लेकर हाथ हम तोड़ दें सब ज़ंजीरों को,मन पर पड़ी बेड़ियों को कुछ तुम कहो,कुछ हम कहें,खोल दें मन को फ़िर हम कुछ तुम लड़ो,कुछ हम लड़े,हो जायें हम साथ खड़े कर दे तबाह सब फिर,जाति-धर्म की इमारतों को हम कुछ तुम समझो,कुछ हम समझें,समझ जायें हक़ीकत सब कर दें नेस्तानाबूद तब, सियासत की सब गंदी चालों को हम कुछ तुम बनो,कुछ हम बनें,हो जायें फिर एक-दूजे के सब दिखा दें बंटवारे के प्यासे सफ़ेद-पोशों को,एक हैं हम चार क़दम तुम चलो,चार क़दम हम चलें,हो जायें साथ खड़े सिखला दें विश्व को भ्रातृ-प्रेम हम,बन जायें शांति की मिसाल हम!! Muनेश...Meरी✍️ Challenge-132 #collabwithकोराकाग़ज़ शब्दों के साथ चार क़दम चलिए और जो मन में आए लिखिए, कोई शब्द सीमा नहीं है :) #चारक़दम #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️