रूठे रूठे से हुज़ूर दिल-ए-परिंदे बता जरा हमारी ख़ता क्या है?हमारे ख़्वाबों के संग करके फ़रेब आखिरकार तुझे मिला क्या है? सोचा था तेरी इनायत की उम्मीद पर ज़िन्दगी को अपनी हम एक नया आयाम देंगे,करके बेरूखी तुझे हमसे आखिरकार मिला क्या है?सहते रहे सितम-ए- जिद्दीपना तेरा बता आखिरकार तेरी रजा क्या है?रज-रज के आखिरकार हमें रूलाने की वजह क्या है? मुकद्दर-ए-राज बता आखिरकार हमारी ज़िन्दगी में लिखा क्या है? न खेल हमारी ख़्वाहिशों से इस कदर हर अश्क़ के मोती पर हमारा वजूद टिका है,जब जब टूटेगा अश्क़ का मोती गम़- ए-समंदर में हमारे,डूबा न दे कहीं हमारी ख़्वाहिशों की क़श्ती यही डर हर लम्हा सताता रहता है, ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1071 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।