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दर्दों का अपना आलम है कब मिल जायें पता नहीं... क

दर्दों का अपना आलम  है 
कब मिल जायें पता नहीं...
कहने को तो सब ही अपने है 
कौन है अपना पता नहीं...
अजी जुड़ता जिससे भी यारों 
अलग ही रूप दिखाता है ...
सच -बोलूँ तो ऐ यार मेरे अब 
समझ ना हमको आता है....
देखता हूँ जो अजब- नजारा 
अजी दम ये घुटता जाता है...
अजी होता क्यों ये साथ ओ मेरे 
इसका तो हमको पता नहीं....
इक तुम हो बेहतर मान लिया है 
मैं क्या हूँ? इसका पता नहीं.....
अजी किये तो होंगें कुछ ओ गलत 
जो हमको है यारों पता नहीं....
अरे- तेरा क्या है?? यार बता अब 
सब ही यही धरा रह जाएगा...
जो रहता नित नित साथ तेरे है 
वो फिर शून्य यार हो जाएगा.....

©ANOOP PANDEY
  #दर्दों_का_अपना_आलम 
Anshu writer Sweety mehta