............ए - कलम ............... कुछ मेरे बारे में भी लिख में हूं एक स्त्री तू तो मुझ से भेद भाव मत कर दुनियां ने किए है भेद भाव स्त्री पुरुष में तू तो मेरे आंतरिक मन की दुविधा समझ या तू भी मेरे अस्तित्व को गैरो की तरह जानकर अनजान बनेगी , ए कलम कुछ मेरे बारे में भी लिख।। लिख दे आज कुछ ऐसा मेरे बारे में सुकून ना सही सुकून का एहसास तो कर , कुछ तो लिख जो पढ़कर मेरे अस्तित्व को समझा तो जाए नहीं चाहिए गैरो के हक , बस मेरे ही मुझे मिल जाए , बस उनके बारे में जिक्र तो कर में भी मुस्कराऊ कुछ ऐसा भी तो लिख , ए - कलम कुछ मेरे बारे में भी लिख ।। समाज की बेड़ियों से कुछ तो आजाद कर मेरे चंचल मन को एक उड़ान तो भरने दे माना में स्त्री हूं मेरे अधिकार नहीं है सब की तरह में भी खिल खिलाऊ , तू अपनी ही कलम से कुछ ऐसा लिख , तेरे अल्फाजों में ही में अपना सम्पूर्ण जीवन जी जाऊं , हो रही हूं में अपने हर ख्वाब से दूर उस ख्वाब के बारे में तो लिख , ए कलम कुछ मेरे बारे में भी तो लिख।। ©Arti Upadhyay #ए_कलम_कुछ_मेरे_बारे_में_भी_लिख #artiup✍️