सुनो...मेरे सारे भ्रम तोड़ क्यों नहीं देते तुम,,, जब मुझे अपनाना ही नहीं है तो छोड़ क्यों नहीं देते तुम,,, ज़माना क्या कहेगा बस इतनी सी दीवार है दरमियान हमारे,,, मुझ पर यकीन है तो फिर ये दीवार तोड़ क्यों नहीं देते तुम,,, चांद को है गुरूर के उसका चकोर जैसा दीवाना है,,, उसे मेरी दीवानगी दिखा कर पिछे छोड़ क्यों नहीं देते तुम,,, ये लाज़मी है के बिखर रहा हूं तुझसे दूर हो कर,,, मेरे सारे हिस्से तेरे हाथ में है इन्हे जोड़ क्यों नहीं देते तुम,,, ........जब अपनाना ही नहीं है तो मुझे छोड़ क्यों नहीं देते तुम...। sach likhta Hu... Achi lge to follow me on Instagram...