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कभी धूँप है, कभी छाँव है कभी नग है, कभी नीर है कभी

कभी धूँप है, कभी छाँव है
कभी नग है, कभी नीर है
कभी तेज है, कभी शीत है
कभी गुणगुणा, कभी सर्द है

जीवन का यही अनुराग है
सुख दुःख से लदा साख है
पल भर का बस सुकून है
लालच फ़कत तहहयात है

आधा है, कभी पुरा भरा है
रंगरेज है, बड़ा मनचला है
हसीन ख्वाँब भी दिखाता है
कभी तो ऐसे ही चटकाता है

ये जीवन है जैसे सुई-धागा
जिएँगे शान से गर सूर लागा धूप रूप है, धूप रंग है
धूप उमंग है, धूप तरंग है
धूप राग है, धूप आग है 
धूप उजियारा है, धूप सवेरा है

आइए, स्वागत करें धूप का
एक प्रेरक रचना के साथ।
कभी धूँप है, कभी छाँव है
कभी नग है, कभी नीर है
कभी तेज है, कभी शीत है
कभी गुणगुणा, कभी सर्द है

जीवन का यही अनुराग है
सुख दुःख से लदा साख है
पल भर का बस सुकून है
लालच फ़कत तहहयात है

आधा है, कभी पुरा भरा है
रंगरेज है, बड़ा मनचला है
हसीन ख्वाँब भी दिखाता है
कभी तो ऐसे ही चटकाता है

ये जीवन है जैसे सुई-धागा
जिएँगे शान से गर सूर लागा धूप रूप है, धूप रंग है
धूप उमंग है, धूप तरंग है
धूप राग है, धूप आग है 
धूप उजियारा है, धूप सवेरा है

आइए, स्वागत करें धूप का
एक प्रेरक रचना के साथ।