द्यूत क्रीड़ा में इन्होने ही तुम्हारा राज़ पाठ हत्याया था, द्रौपदी के चीर हरण का गन्दा खेल रचाया था | कुलवधू के अपमान पर, सभा में कोई नहीं बोला था, क्या पितामाह, धृतराष्ट्र, गुरुजनो का रक्त नहीं खोला था || 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 देख के यह सब वहां, जब व्यथित तुम्हारे मन थे, तब वहां जो मौन बैठे थे, वो ही तुम्हारे परिजन थे | ज्ञात्वास तुमने पूरा किया, अज्ञातवास भी स्वीकारा था, पर अंततः कौरवो के धोखे ने ही तुम्हे ललकारा था || 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 शांतिदूत बनकर मैंने भी दुर्योधन को समझाया था, पर उसका विवेक, लालसा से जीत नहीं पाया था | शांति का प्रस्ताव उसने ठुकराया था, और युद्ध का ही रास्ता अपनाया था | tbc in next post #Bhagwad_Geeta #dharmyudh #Krishna