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में भी आज आसमान को देख रहा था उसमे सूरज कहा से नि

में भी आज आसमान को देख रहा था 
उसमे सूरज कहा से निकलता है
ये में सोच रहा था में 
 ढूंढ रहा था उन लोगो को 
जो आसमान छूने के सपने देखते हैं
में ढूंढ रहा था उन परिंदो को
 जो आसमान में रोज उड़ा करते हैं
में ढूंढ रहा था उस रोशनी को
 जो बादल होने पर कही छुप जाती हैं
में ढूंढ रहा था उस सुबह को जो 
रात होने पर ही क्यू नजर आती हैं
क्या तुम भी ढूंढ रहे हो कुछ

©Kuldeep Singh Ruhela #chaand जिंदगी की अनोखी बातें
में भी आज आसमान को देख रहा था 
उसमे सूरज कहा से निकलता है
ये में सोच रहा था में 
 ढूंढ रहा था उन लोगो को 
जो आसमान छूने के सपने देखते हैं
में ढूंढ रहा था उन परिंदो को
 जो आसमान में रोज उड़ा करते हैं
में ढूंढ रहा था उस रोशनी को
 जो बादल होने पर कही छुप जाती हैं
में ढूंढ रहा था उस सुबह को जो 
रात होने पर ही क्यू नजर आती हैं
क्या तुम भी ढूंढ रहे हो कुछ

©Kuldeep Singh Ruhela #chaand जिंदगी की अनोखी बातें