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जी चाहता है गगन को छूने को पर इन बंधनों को कैसे तो

जी चाहता है गगन को छूने को
पर इन बंधनों को कैसे तोडूं 
पर मन तो करता है
 इन बंधनों को‌ तोड़ कर
इन परिंदों के जैसे आसमानो को छू लूं

©Pankaj Tiwari
  #मनकीबातें