Nojoto: Largest Storytelling Platform

महज़ इत्तेफ़ाक़ था कोई या ख़ुदा की कोई नेमत, मायूसी की

महज़ इत्तेफ़ाक़ था कोई या ख़ुदा की कोई नेमत,
मायूसी की शब में तेरा यूँ बेमतलब मिल जाना

कोई दुआ क़ुबूल हुई थी या था कोई मोजिज़ा,
चाँद रात में तेरा यूँ बेमतलब मुझे हँसाना

(कैप्शन में पढ़ें) महज़ इत्तेफ़ाक़ था कोई या ख़ुदा की कोई नेमत,
मायूसी की शब में तेरा यूँ बेमतलब मिल जाना

कोई दुआ क़ुबूल हुई थी या था कोई मोजिज़ा,
चाँद रात में तेरा यूँ बेमतलब मुझे हँसाना

टूटते तारों का था कोई असर या कोई तोहफ़ा ज़िंदगी का,
बेचैन करवटों में तेरा यूँ बेमतलब अपनी आग़ोश में सुलाना
महज़ इत्तेफ़ाक़ था कोई या ख़ुदा की कोई नेमत,
मायूसी की शब में तेरा यूँ बेमतलब मिल जाना

कोई दुआ क़ुबूल हुई थी या था कोई मोजिज़ा,
चाँद रात में तेरा यूँ बेमतलब मुझे हँसाना

(कैप्शन में पढ़ें) महज़ इत्तेफ़ाक़ था कोई या ख़ुदा की कोई नेमत,
मायूसी की शब में तेरा यूँ बेमतलब मिल जाना

कोई दुआ क़ुबूल हुई थी या था कोई मोजिज़ा,
चाँद रात में तेरा यूँ बेमतलब मुझे हँसाना

टूटते तारों का था कोई असर या कोई तोहफ़ा ज़िंदगी का,
बेचैन करवटों में तेरा यूँ बेमतलब अपनी आग़ोश में सुलाना
drg4424164151970

Drg

New Creator