धड़कन की सरगम कैसे सुनोगे अब जानाँ, लापरवाह तेरा अन्दाज़ गुनगुनाने नहीं देता मसरूफ़ियत का बहाना ठीक नहीं है जानाँ, रह रह कर इक़ ख़याल मुझे सोने नहीं देता बेदिली का आलम क्या जताऊँ तुझसे जानाँ, रूखा तेरा रवैया खुलकर मुस्कुराने नहीं देता कहानियों में अपना वजूद ढूँढ रही हूँ जानाँ, माज़ी के दरवाज़े अब खटखटाने नहीं देता नज़्म लिखकर तुझे याद कर रही हूँ जानाँ, डायरी में तेरा ज़िक्र फूट कर रोने नहीं देता मिलकर बिछड़ना क्या इतना ज़रूरी था जानाँ, तुझ बिन ये पागल दिल चैन से जीने नहीं देता कैसे अब चुप रहूँ तेरी इस बेहिसी पर जानाँ, लाइलाज मरज़ सुकूँ से मरने भी नहीं देता #बेहिसी #लापरवाह #रूखापन #मोहब्बत #yqdidi #yqbaba #drgpoems #latenightthoughts