मजिंल की ओर चलती जा रही हू,कुछ अपनो ने ठुकराया,तो कुछ गैरो ने अपनाया,कभी रोई,कभी डरी,कभी पीछे रह गयी,तो कभी आगे बडी़,बस उस अनजान रास्ते पर चलती जा रही हू,मजिंल की ओर चलती जा रही हू,, ©khushi shukla #Raasta